Funeral Rites

अन्त्येष्टि संस्कार

यहाँ पर अन्त्येष्टि संस्कार का साल दर साल का संक्षिप्त विवरण दिया गया है | 

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संस्कार का अर्थ है पदार्थ के दोषों को दूर कर गुणों का आधान करना।इन अर्थों में संस्कार शब्द का प्रयोग जड़ जगत से लेकर चेतन जगत तक किया जा सकता है। जीवात्म युक्त शरीर का नाम पुरुष है, शरीर का संस्कार तो नैत्यिक कर्मों के द्वारा प्रतिदिन, हर समय होता रहता है। इसलिए संस्कार शब्द आत्मा में गुणों  के आधान के लिए प्रसिद्ध है ।उसके लिए वैदिक ऋषियों ने गर्भाधान से अन्त्येष्टि अर्थात् मृत्यु के पश्चात् विधिवत् दाह करने तक 16 संस्कारों के रूप में शतवर्षीय योजना प्रस्तुत की  है। इन 16 संस्कारों में आजकल कुछ संस्कार तो होते ही नहीं और जो कुछ होते हैं उनके स्वरूप  विकृत हैं। वर्तमान में सर्वाधिक विकृति अन्त्येष्टि संस्कार में आ गई है।अतः सत्य सनातन वेद प्रचार न्यास  जहां विवाह, नामकरण, यज्ञोपवीत आदि संस्कारों को शुद्ध वैदिक रूप में प्रचारित करता है वहीं अन्त्येष्टि संस्कार के पाखण्ड रहित उत्तम वैदिक स्वरूप को समाज के सामने प्रस्तुत करने में संलग्न है। इस क्रम में जनवरी माह में ही 8 तथा 20 तारीख में दो अन्त्येष्टि कर्म वैदिक विधि से कराए गए.