Tree Planting Program

वृक्षारोपण कार्यक्रम

यहाँ पर वृक्षारोपण कार्यक्रम  का साल दर साल का संक्षिप्त विवरण दिया गया है  |

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सत्य सनातन वेद प्रचार न्यास द्वारा 21 जुलाई को न्यास के वयोवृद्ध शुभचिन्तक हरदोई निवासी डॉ. सत्यप्रकाश आर्य के जन्मदिवस पर लखनऊ स्थित गुरुकुल के विशाल प्रांगण में वृक्षारोपण कार्यक्रम आयोजित किया गया। देव यज्ञ से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ और उसके पश्चात् न्यास के पदाधिकारियों तथा सदस्यों द्वारा मलिहाबाद से क्रय कर लाये  गए आम ,पीपल, बरगद, पाकड़, जामुन, नीम, आंवला,तुलसी आदि के शताधिक पौधों का आरोपण किया गया।

इस अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए न्यास के संस्थापक आचार्य विश्वव्रत शास्त्री ने कहा कि भारतीय ऋषियों ने मानव-मस्तिष्क को उचित दिग्दर्शन कराने के लिए ईश्वरीय ज्ञान वेद-संहिताओं के आलोक में ब्राह्मण, आरण्यक, उपनिषद्, प्रभृति उत्कृष्ट ग्रन्थों की उद्भावना की, जिससे मानव-समुदाय समष्टिगत चिन्तन में निरत रहते हुए, सामाजिक सद्भाव बनाए रखे और प्रकृति में अंगीभूत  जीने दो और जिओ के विधान का पालन करते हुए  विकास के प्रत्येक सोपान पर अपने चरण-चिह्न अंकित तो करे ही, साथ ही आत्मोद्धार भी करे। इस सद्भाव को बनाए रखने की प्रेरणा यजुर्वेद (36.17) के शांतिपाठ से प्राप्त होती है, जिसमें द्युलोक, अंतरिक्ष, पृथिवी, जल, वनस्पति  में सर्वत्र परम शान्ति बने रहने के उदात्त भाव अनुस्यूत हैं। प्रत्येक घटक में शान्ति की कामना तत्कालीन ऋषियों की सामाजिक और पर्यावरणीय सद्भावना का द्योतक है—

 

द्यौ: शान्तिरन्तरिक्षं शान्ति पृथिवी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति: वनस्पतय: शान्तिर्विश्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति,सर्वँ शान्ति: शान्तिरेव शान्ति सा मा शान्तिरेधि॥इससे स्पष्ट है कि हमारे ऋषि पर्यावरण के प्रत्येक रूप की संरक्षा एवं संतुलन के प्रति कितने सजग थे। उन्होंने जन सामान्य में श्रद्धाभाव जागृत कर प्रकृति के समस्त रूपों को अशान्त अर्थात् साम्प्रतिक परिप्रेक्ष्य में प्रदूषित न करने की प्रेरणा दी।