बैठक में ईश्वर स्तुति प्रार्थनोपासना के उपरांत ब्रह्मचारिणी विश्रुति जी द्वारा आगंतुकों का अभिनंदन किया गया।
बैठक की भूमिका प्रस्तुत करते हुए आ० विश्वव्रत शास्त्री जी ने कहा कि न्यास द्वारा अनवरत किये जा रहे वेद प्रचार व सामाजिक उत्थान कार्यक्रमों के सकारात्मक प्रभाव को देखते हुए संस्था का विस्तारीकरण किया जाना चाहिए। इसी उद्देश्य को गति देने हेतु यह बैठक आयोजित की गई है, जिसमें सभी सम्मानित सदस्यों के सुझाव संकलित कर निर्णायक मंडल की संस्तुति के आधार पर क्रियान्वयन होना है। निर्णायक मंडल के रूप में श्री देवेंद्र स्वरूप गुप्त अग्निहोत्री जी, श्री महेंद्र सिंह जी व श्रीमती कविता सहगल जी की समिति नियत की गई। संचालक श्री संजीव मिश्र जी के निवेदन पर न्यास के संरक्षक डॉ० सत्यकाम आर्य जी ने संस्था के विकास कार्य के प्रमुख तत्व प्रस्तुत किया।
१) न्यास के सभी सदस्यों में परस्पर स्नेह और सौहार्द सदैव बना रहना चाहिए।
२) न्यास का गणवेश निर्धारित किया जाना चाहिए, जिसे सभी सदस्यों को अनिवार्य रूप से कार्यक्रम में पहनना चाहिए।
३) न्यास के सभी सदस्यों के परिवारों में सभी संस्कार वैदिक रीति से कराए जाने चाहिए, इस हेतु समय-समय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम भी किया जा सकता है।
श्रीमती रश्मि गुप्ता जी ने संस्था के विस्तारीकरण हेतु सुझाव देते हुए कहा
१) साप्ताहिक कार्यक्रमों में विद्वानों द्वारा देव यज्ञ के महत्व को अवश्य बताया जाना चाहिए, साथ ही इससे होने वाले लाभ का अनुभव भी साझा किया जाना चाहिए।
२) कार्यक्रम अलग-अलग क्षेत्र में कराया जाना चाहिए साथ ही नवयुवकों व बच्चों की भागीदारी भी बढ़ाने का प्रयास होना चाहिए।
डॉ० संजय प्रसाद गुप्त जी ने संस्था के प्रचार में मीडिया की भूमिका व प्रयोग हेतु आवश्यक सुझाव प्रस्तुत किये।
१) कार्यक्रमों को जन-जन तक पहुंचाने हेतु सोशल मीडिया का प्रयोग अधिकाधिक होना चाहिए।
२) उपदेशों को छोटे वीडियो व रील के रूप में चलाया जाना चाहिए।
३) वेबिनार के द्वारा सोशल मीडिया पर उपदेशों की श्रृंखला प्रसारित होनी चाहिए।
४) सभी सदस्य यू ट्यूब व फेसबुक पर प्रसारित न्यास के कार्यक्रमों को लाइक व सब्सक्राइब अवश्य करें ,एवं औरों को भी प्रेरित करें।
५) सोशल मीडिया व अन्य तकनीकी कार्य के निर्वहन हेतु एक विशेषज्ञ नियुक्त होना चाहिए।
६) न्यास के सदस्यों की संख्या बढ़ाने हेतु सदस्यता अभियान आरंभ किया जाना चाहिए, साथ ही सदस्यता शुल्क भी निर्धारित होना चाहिए।
बैठक में उपस्थित सम्मानित सदस्यों द्वारा भी निम्न बहुमूल्य सुझाव प्रस्तुत किए गए।
१) न्यास के कार्यकर्ताओं (स्वयंसेवकों) को निरभिमानी व उत्साहित होना चाहिए।
२) प्रत्येक साप्ताहिक कार्यक्रम में एक नया परिवार जोड़ने व उस परिवार में आगे कार्यक्रम करवाने हेतु प्रयास किया जाना चाहिए।
३) ग्राम लोधमऊ स्थित न्यास के गुरुकुल के समीप के क्षेत्रों में भी साप्ताहिक कार्यक्रम रखे जाने चाहिए।
अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए श्री नवीन कुमार सहगल जी ने विगत 19 वर्षों में न्यास द्वारा जनपद लखनऊ के साथ-साथ प्रदेश स्तर पर सराहनीय कार्यों का उल्लेख करते हुए बताया कि न्यास के आरंम्भिक वर्षों में कार्यकर्ताओं ने जमीनी स्तर पर जो पुरुषार्थ किया वैसा ही भगीरथ प्रयास पुनः विस्तारीकरण किए जाने हेतु करना होगा।
निर्णायक मंडल द्वारा निम्न प्रस्तावों को सर्व सम्मति से तत्काल कार्यान्वित करने हेतु निर्णय लिया गया।
१) प्रत्येक माह कम से कम एक प्रशिक्षण कार्यक्रम अवश्य रखा जाए।
२) साप्ताहिक कार्यक्रम जनपद लखनऊ के अलग-अलग क्षेत्रों (परिवारों) में किया जाना चाहिए।
३) प्रत्येक ३ माह में एक कार्यक्रम विशेष रूप से बच्चों के लिए आयोजित होना चाहिए।
४) पारिवारिक कार्यक्रमों को यज्ञ से जोड़ने हेतु विशेष प्रयास किया जाना चाहिए।
५) न्यास के कार्यक्रमों को सोशल मीडिया पर छोटे वीडियो व रील के माध्यम से प्रसारित किया जाये।
६) बृहद् सदस्यता अभियान आरंभ किया जाए।
आचार्य जी द्वारा शांति पाठ व जयघोष के साथ बैठक का समापन हुआ। अधिवेशन का छायाचित्र निम्नवत है-
🙏ओ३म्🙏