यज्ञ के पश्चात सत्संग के कार्यक्रम में आचार्य श्री विश्वव्रत शास्त्री जी ने श्रावणी पर्व के महत्व पर प्रकाश डाला और इसे वैदिक संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा बताया। उन्होंने आर्य समाज के सिद्धांतों और विचारों पर भी चर्चा की और समाज में उनकी प्रासंगिकता पर जोर दिया। उन्होंने उपस्थित तमाम छात्र छात्राओं को मानव जीवन के लक्ष्य पर प्रकाश डालते हुए वेदोक्त ईश्वर सम्बंधी विचारों की अति सुंदर व्याख्या की।
शाहजहां पुर से पधारे सुप्रसिद्ध वैदिक भजनोपदेशक स्वामी श्री श्रृद्धा नन्द जी ने ईश भक्ति के सुंदर भजनों से सभी का मार्गदर्शन किया।
कार्यक्रम का सफल संचालन कर रहे आर्य कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. अरुण कुमार आर्य जी ने समागत वैदिक विद्वानों और कार्यक्रम में उपस्थित सभी सदस्यों का स्वागत करते हुए श्रावणी उपाकर्म समारोह के आगामी कार्यक्रमों की सूचना प्रदान की। सम्पूर्ण कार्यक्रम आज २३ अगस्त से आगामी २६ अगस्त (श्रीकृष्ण जन्माष्टमी) तक प्रातः ८-१० बजे तक व सायं ६-९ बजे तक प्रतिदिन आर्य समाज मंदिर टाण्डा में आयोजित किया जायेगा।
अंत में सभी सदस्यों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित रहने का विनम्र अनुरोध भी किया। शांति पाठ एवं जयघोष के पश्चात प्रथम दिवस के प्रथम सत्र का समापन किया गया।