कार्यक्रम के प्रथम सत्र में मुख्य यजमान की व्यवस्थानुसार आचार्य विश्वव्रत शास्त्री, डॉ. सत्यकाम आर्य तथा श्री चन्द्रभान “साधक” ने व्यासपीठ पर आसीन होकर प्रथम सत्र में पुंसवन संस्कार और सीमन्तोन्नयन संस्कार सम्पन्न कराये। आचार्य विश्वव्रत शास्त्री के द्वारा संस्कारों की प्रमुख विधियों की सहज व्याख्या उपस्थित श्रोताओं हेतु अत्यन्त प्रभावी रही ।मुख्य यजमान श्री बृजेश शर्मा तथा सहयोगी यजमानों श्री आसाराम शर्मा , श्री नवीन कुमार सहगल, श्री बृजेश सिंह आदि ने सपत्नीक उपस्थित होकर आहूतियां प्रदान कीं। श्रीमती कविता सहगल ने वाद्ययन्त्रों के साथ आरती का गान किया। व्यास पीठ पर उपस्थित विद्वानों के द्वारा मुख्य यजमानों को आशीर्वाद प्रदान कर प्रथम सत्र समाप्त हुआ।
श्री नवीन कुमार सहगल की अध्यक्षता में सम्पन्न हुए कार्यक्रम के द्वितीय सत्र का शुभारम्भ डॉ सत्यकाम आर्य के आशीर्वचन से हुआ। आशीर्वचन में संस्कारों की महिमा का वर्णन करते हुए विद्वान् वक्ता ने संपन्न हुए संस्कारों का उत्तम विवेचन प्रस्तुत कर यजमानों को आशीर्वाद प्रदान किया। इस अवसर पर यजमानों को अगला आशीर्वाद प्राप्त हुआ न्यास के संरक्षक श्री चन्द्रभान साधक जी का उन्होंने यजुर्वेद के मन्त्र की व्याख्या के आलोक में संस्कारों की महिमा का उत्तम बखान करते हुए प्रशंसनीय वक्तव्य प्रस्तुत किया। कार्यक्रम की अगली कड़ी में न्यास की समर्पित भजनोपदेशिकाओं श्रीमती कविता सहगल एवं आचार्या प्रियंका शास्त्री ने गृहस्थ सन्बन्धी गीत प्रस्तुत किया। गीत के बोल थे जिस घर में हो प्यार खुश रहते हों नर नार, हो पितरों का सत्कार वह घर कितना सुन्दर है…
शांति पाठ व प्रसाद वितरण के साथ कार्यक्रम यथा समय समाप्त हुआ।कार्यक्रम में आसाराम शर्मा, सुभाष चंद्र शर्मा, श्रीमती सुमन आदि ने जनपद अंबेडकर नगर से अपनी उपस्थिति दी साथ ही संतोष त्रिपाठी, मंसाराम, विजयलक्ष्मी आर्या, गायत्री आर्या ,ओमप्रकाश आर्य , सत्यवती पाण्डेय, गिरिजा त्रिपाठी यशोदा शर्मा आदि क्षेत्रीय श्रद्धालु उपस्थित रहे।